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Rudra Pratap Singh


State: Uttar Pradesh
Loksabha Seat: Gautam Buddha Nagar
Education Detail: M.com,PGDM
Profession Detail: Business
Criminal Case: No
Income: 1L - 10 L
Total Votes: 1

Manifesto


“युवा वह है जो अनीति से लड़ता है, दुर्गणों से दूर रहता है, काल की चाल अपने सामर्थ्य से बदल सकता है। राष्ट्र के लिए बलिदान की आस्था लिए प्रेरक इतिहास रच सकता है।“ स्वामी विवेकानन्द     आज युवाओं का राजनीति में प्रवेश करना अति आवश्यक है। बचपन से ही हमारे मानस पटल में ये बात डाली जाती है कि जीवन का सार, अपने लिए एक बेहतर आजीविका का प्रबंध करना है, एक सम्मानित पेशे का चुनाव कर उसके लिए अपना सारा सामर्थ्य झोक देना है परन्तु राजनीति में प्रवेश की बात आते ही लोग यह कहना शुरू कर देते है की छात्रों एवं युवाओं में अनुभव की कमी होती है। उन्हें अपने क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। यहां शहीद-ए-आज़म भगत सिंह द्वारा एक पत्रिका में प्रकाशित यह पंक्तियां उल्लेखनीय है, “हम मानते हैं कि विद्यार्थियों का मुख्य काम पढ़ाई करना है, उन्हें अपना पूरा ध्यान उस ओर लगा देना चाहिए लेकिन क्या देश की परिस्थितियों का ज्ञान और उनके सुधार सोचने की योग्यता पैदा करना उस शिक्षा में शामिल नहीं?यदि नहीं तो हम उस शिक्षा को भी निकम्मी समझते हैं, जो सिर्फ क्लर्की करने के लिए ही हासिल की जाये।“ आज हिंदुस्तान में लगभग 65 प्रतिशत आबादी युवाओं की है, जो विश्व के किसी भी राष्ट्र के मुक़ाबले अधिक है और यह स्थिति 2045 तक बनी रहेगी।   हमारे राष्ट्र में सामान्य रूप से अगर किसी भी युवा से पूछा जाए कि क्या वो राजनीति में आना चाहता है या उसे अपने करियर के रूप में देखता है?  युवाओं का जवाब प्रायः नकारात्मक होता है।  उनका कहना होता है कि राजनीति में कोई ‘स्कोप’ नहीं है,  वहां बड़े-बड़े दिग्गज हैं, राजनीति एक कीचड़ है बगैरह-बगैरह। कहने का तात्पर्य है कि सिर्फ पूछने भर से ही वो कदम पीछे हटा लेते है। यहां स्वामी विवेकानन्द जी की ये बात उल्लेखनीय है कि “विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि उनमें समय पर साहस का संचार नहीं हो पाता और वह भयभीत हो उठते हैं।” आज समय है कि युवा भी स्वयं की शक्ति को पहचानते हुए अपने सामर्थ्य पर भरोसा करते हुए आगे आए। युवाओं के नाम पर हमारे संसद भवन में जो नेता जन-प्रतिनिधि हैं, उनमें से अधिकांशतः राजनैतिक परिवारों से सम्बंध रखते है। यह एक मिथक है कि राजनैतिक परिवार में जन्म लेने वाले ही राजनीति कर सकते हैं। तो यहां मैं रामधारी सिंह दिनकर की यह पंक्तियां लिखना चाहता हूः “नहीं खिलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुंज-कानन में समझे कौन रहस्य? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल  गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल” भारतीय राजनीति में युवाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करके भारत पूरे विश्व के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है। जिस विश्व नेता का सपना हमारे महान नेताओं ने देखा था उस स्वप्न को यथार्थ में बदलने के लिए यह कदम एक मील का पत्थर साबित होगा। भारत को एक विश्व शक्ति के रूप में स्थापित करेगा। राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए भी यह एक प्रशंसनीय कदम होगा।