Manifesto
1-वोट लेने और वोट देने अर्थात प्रत्याशी और मतदाता दोनों के लिए न्यूनतम शिक्षा का मापदंड तय किया जाना चाहिए। भारत जैसे विशाल देश में लोकतंत्र की पारदर्शिता और सही मूल्य पर राजनीति तभी संभव है।
2- भारत संभावनाओं का देश है।इस देश को विकसित देशों की श्रंखला में तभी लाया जा सकता है जब इस देश का नौजवान राजनीति की मुख्यधारा में आएगा। खासकर पढ़ा-लिखा शिक्षित नौजवान। वह कर देने से राजनीति की दशा नहीं सुधारी जा सकती जिस प्रकार नौकरी के लिए शिक्षक अभ्यर्थियों की चयन प्रक्रिया है उसी प्रकार राजनीति मेरी शिक्षित लोगों की जरूरत है। 3- विधानसभा लोकसभा में शिक्षित युवा चुनकर जाएंगे। उनकी भागीदारी सुनिश्चित होगी तब जाकर सही मायनों में देश को अच्छे नेता मिलेंगे।आज के दौर में युवा नेताओं के नाम पर स्थापित राजनेताओं के पुत्रों को थोपा जा रहा है। मेरा मानना है कि राजनीति में युवाओं की सक्रियता सुनिश्चित की जानी चाहिए साथ ही विधानसभा एवं लोकसभा में चुनाव लड़ने की आयु 25 से कम कर 21 की जानी चाहिए।
4- स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर निजी अस्पताल डकैती करते हैं। आजाद देश में किसी को भी पैसा कमाने का अधिकार है लेकिन स्वास्थ्य एवं शिक्षा दो क्षेत्र ऐसे हैं जहां बाजारीकरण इतना हावी हो गया है इन क्षेत्रों में अब सिंडीकेट काम करने लगे।डकैती हावी हो गई है। वह तबका जिसकी सुनने वाला कोई नहीं उनका शोषण दोहन होता है। इसमें व्यापक सुधार आवश्यक है और किए जा सकते हैं। मेरे पास इस हेतु पुख्ता इंतजाम है।
5- भारत अब आजादी के 70 वर्ष बिता चुका है। तमाम तरह के संसाधन मौजूद है। माल एवं भार वाहन के प्रयोग में जानवरों जैसे गाय,घोड़ा,भैंस,बैल,खच्चर या कोई भी जानवर इनका उपयोग भारतवर्ष में भार वाहन के प्रयोग के तौर पर वर्जित होगा। यह बेज़ुबान जानवर बोल नहीं सकते इसका मतलब यह नहीं कि इन्हें कष्ट नहीं होता,इनकी भावनाएं नहीं हैं। मनुष्य का यह स्वभाव है जब तक उसे स्वयं तकलीफ महसूस ना हो दूसरे की तकलीफ नहीं समझता। नियम कड़ा है लेकिन किसी की पीड़ा से बड़ा नहीं..।
6- मेरी प्रतिबद्धता है कि 5 साल के कार्यकाल का हिसाब अर्थात घोषणा पत्र में किए गए वादे लागू होंगे और प्रत्येक राजनीतिक दल के लिए अनिवार्य होना चाहिए कि 5 वर्ष बाद अगर वह घोषणा पत्र का 60(%) प्रतिशत कार्य नहीं कर सकता या नहीं किया गया तो चुनाव आयोग उस प्रत्याशी या उस दल से चुनाव लड़ने की शक्ति समाप्त कर दे।
नए वादों से लोकतंत्र नहीं चल सकता किए गए बुनियादी सुधारों से कार्यों से चलेगा। इस हेतु घोषणा पत्र जारी करते समय वर्षों के अंदर जमीन पर इसको उतारना आवश्यक हो, शिक्षण संस्थानों विश्वविद्यालयों सरकारी अथवा गैर सरकारी सभी में छात्रसंघ चुनाव इस जैसा कोई प्रारूप अवश्य होना चाहिए।
7- अच्छी सोच असल मुद्दे राजनीति से हट नहीं सकते। अगर संघर्ष करने वाले नौजवान छात्र संघ से निकलकर मुख्यधारा में आते हैं साथ ही छात्रों का एक प्रतिनिधि शासन-प्रशासन अगर बे अंदाज़ हो जाए तो अवश्य होना चाहिए जो कि छात्रों की लड़ाई लड़ना जानता हो।